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जून 27, 2012

आँखों से नींदे बहे रे

















आँखों से नींदे बहे रे 
सपने सजन के कहे रे 
महल सुनहरे ख्वाब का 
बना ले नींद-ए-जहां में 


हवा में उड़े है वो सारे 
नींदों में बसा जो सपना 
क़ैद ख्वाबगाह में कर ले 
हो जायेगा वो अपना 




समय से परे कहीं पर 
सजा ले जहां वहीँ पर 
जमीं पर ख्वाब गिरे तो 
दरक न जाये हसीं पल ।।




आँखों के नींद कहे रे 
चुपके से सुन सजन रे 
सुरों में ढले जो सपने 
जहां सारा सुने रे ।।




पलकों के नीचे  है बसेरा 
फलक तक जाए हर रात 
होंठों को छू ले जो ये 
उजाला होवे सवेरा ।।



जून 22, 2012

मित्रता दृढ़ता से धर !



















मन के तम को दूर कर 
गम को मन से परे कर 
हृदय से हृदय मिला ले 
आज मित्रता के गीत गा ले !

अग्निशापित हृदय से 
राग-द्वेष के कलंक से 
खुद को तू स्वतंत्र कर 
मित्रतादार्श स्थापित कर !



भेद मन का मिटा दे 
देह-नश्वर जान ले 
अश्रु बूँद न व्यर्थ कर 
मित्रता दृढ़ता से धर !

जून 17, 2012

ये चीत्कार !

ये चीत्कार !
ये हाहाकार !
ये संहार !!!    क्यों ?


ये संत्रास ! 
ये परिहास !
सब बदहवास ! क्यों?


ये वारदात !
ये मारकाट !
सब बरबाद ! क्यों?




प्रशासन हाय !
नाकामी दर्शाय !
नाकाबिल ये !   क्यों??


देश है त्रस्त !
लुटेरे है मस्त !
अनाचार ज़बरदस्त ! क्यों?


कोई तो बताये !
कौन है सहाय!
अब सहा न जाए !   यूं ।।

जून 14, 2012

'ध्रुवतारा'


तारा टूटा है दिल तो नही 
चहरे पर छाई ये उदासी क्यों 
इनकी तो है बरात अपनी 
तुम पर छाई ये विरानी क्यों 


न चमक अपनी इन तारों की 
न रोशनी की  राह दिखा सके 
दूर टिमटिमाती इन तारों से 
तुम अपना मन बहलाती क्यों 


कहते है ये टूटते तारे 
मुराद पूरी करता जाय 
पर नामुराद मन को तेरी 
टूटते हुए छलता  जाए क्यों 


मत देखो इन नक्षत्रों को 
इसने सबको है भरमाया 
गर देखना ही है देखो उसे 
जो अटल अडिग वो है 'ध्रुवतारा'

जून 04, 2012

रिश्ते... खट्टे-मीठे

रिश्तो में क्या रखा है -
आदम-जात का धोखा है ,
जुड़ना है गर रिश्ते संग
टूटन का दर्द सहना है ।।


रिश्ते है ख्वाब  मानिंद -
आज सच कल धोखा है ,
ख़ुशी में छुपा वो दर्द
गम के पटल पर दीखता है ।।






सुकून है गुमनामी में-
रिश्ते का घाव रिस्ता है ,
नफरत औ प्यार का खिचड़ी बस-
पल-पल दर्द चुभोता है ।।


पर ये खट्टे रिश्ते भी-
मीठे फल दे जाते है,
कुछ मासूम-चंचल रिश्ते
जीने को उकसाते है ।।


कुछ उलझन ज़िन्दगी की
पल में ये सुलझाते है,
अपने-पराये से ये रिश्ते
जीने का मकसद दे जाते है ।।

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